एब्स्ट्रैक्ट:Image captionदो हिस्सों में बंटा होता है इंसानी दिमागइंसान का दिमाग़ दो हिस्सों में बंटा होता है. दा
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दो हिस्सों में बंटा होता है इंसानी दिमाग
इंसान का दिमाग़ दो हिस्सों में बंटा होता है. दायां और बायां. हर हिस्से की अपनी अलग-अलग ख़ूबी होती है. दोनों ही हिस्से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. और हम इन दोनों की मदद से ही कुछ देख-सुन और समझ पाते हैं. बोल पाते हैं. लेकिन, बहुत से लोगों में दिमाग़ के दोनों हिस्सों के बीच संबंध टूट जाता है. इसे स्प्लिट ब्रेन सिंड्रोम कहते हैं.
माइकल गैज़ानिगा, अमरीका के सैंटा बारबरा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर हैं. माइकल लंबे समय से इंसानों के इस दोहरे किरदार के बारे में पड़ताल करते आए हैं. वो 1961 से इस विषय पर रिसर्च कर रहे हैं.
माइकल बताते हैं कि उस दौर में मिर्गी के दौरों का इलाज करने के लिए इंसान के ज़हन के इन दो हिस्सों के संपर्क को काट दिया जाता था.
डब्ल्यूजे नाम के मिर्गी के एक मरीज़ का कैलिफ़ोर्निया टेक्निकल इंस्टीट्यूट यानी कैलटेक (Caltech) में इसी तरह इलाज किया गया था. उस वक़्त माइक गैज़ानिगा वहां पर रिसर्च कर रहे थे.
वो बताते हैं कि हमारे ज़हन की दाहिनी तरफ़ का हिस्सा चीज़ों को देखकर पहचानता है. और फिर हम दिमाग़ के बाएं हिस्से की मदद से उसका नाम ले पाते हैं. क्योंकि हमारे दिमाग़ के बाएं हिस्से में भी भाषा सीखने और बोलने का कंट्रोल होता है.
ये आम लोगों के साथ होता है. तो, आम तौर पर हमारे दिमाग़ के दोनों हिस्से जुड़े होते हैं. इसलिए हम दायीं आंख से देखें या बायीं आंख से. हम चीज़ों को पहचान जाते हैं और उनका नाम ले पाते हैं.
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लेकिन, डब्ल्यू जे नाम के उस मरीज़ की मिर्गी का इलाज करने के लिए उसके दिमाग़ के दोनों हिस्सों के बीच की कड़ी को काट दिया गया. इसके बाद वो जो दाहिनी आंख से देखता, उसके बारे में बता ही नहीं पाता था. हां, लिखे हुए शब्दों को वो बायें हाथ से इशारा कर के बता देता था कि उसने क्या देखा.
वजह साफ़ थी. डब्ल्यू जे के दिमाग़ के दाहिने हिस्से को बख़ूबी समझ आता था कि उसने क्या देखा. पर, उसे बोलने के लिए ज़हन के बाएं हिस्से की मदद लेनी होती थी और बाएं हिस्से का दिमाग़ के दाहिने हिस्से से संपर्क कट चुका था, तो वो बोल कर नहीं बता पाता था कि उसने देखा क्या. हालांकि हाथ के इशारे से वो बता देता था कि उसने क्या देखा.
ऐसे ही एक और मरीज़ एनजी के ज़हन के साथ भी हुआ था. उसे एक चम्मच सिर्फ़ दाहिनी आंख से दिखाया गया. फिर उससे पूछा गया कि उसने क्या देखा? एनजी ने कहा कि उसने कुछ भी नहीं देखा.
फिर उसे बायें हाथ से एक डिब्बे से बिना देखे वो सामान निकालने को कहा गया, जिसकी उसे तस्वीर दिखाई गई थी. उसके दिमाग़ के दाहिने हिस्से ने फ़ौरन उसका हाथ चम्मच तक पहुंचा दिया. लेकिन, चम्मच हाथ में लेकर भी एनजी ये नहीं बता पा रही थी कि उसने क्या पकड़ा हुआ है. क्योंकि उसके दिमाग़ का बायें हिस्से को दाहिने हिस्से से भेजा गया संदेश मिला ही नहीं था.
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जब एनजी से पूछा गया कि उसने हाथ में क्या पकड़ा है, तो वो अंदाज़ा ही लगाती रह गई. कभी पेंसिल बताया तो कभी कुछ और. जबकि उसने हाथ में चम्मच पकड़ रखा था. जिसकी तस्वीर उसे पहले दिखाई गई थी.
माइकल इसे स्पिलिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कहते हैं. जिसमें दिमाग़ के दोनों हिस्सों के बीच आपसी तालमेल नहीं होता. वो आपको अपने-अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करते हैं.
जिन के दिमाग़ के दोनों हिस्सों में संपर्क बना हुआ होता है, उन्हें भी कई बार ये परेशानी हो जाती है. इसकी वजह ये होती है कि दिमाग़ की तंत्रिकाओं के बीच जानकारी का लेन-देन कई बार ख़राब संकेत के तौर पर मिलता है. तो हम पूरी तरह से इसे समझ नहीं पाते. आपके दाएं और बाएं हाथ एक जैसा बर्ताव या संकेत इसी लिए नहीं दिखाते.
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