एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटSHURIAH NIAZI/BBCभोपाल से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार बनाईं गईं साध्वी प्रज्ञा सिंह
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भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार बनाईं गईं साध्वी प्रज्ञा सिंह ने महाराष्ट्र एटीएस के दिवंगत प्रमुख हेमंत करकरे के बारे में विवादित बयान दिया है.
एक चुनावी सभा के दौरान प्रज्ञा सिंह ने कहा है कि उनके श्राप से हेमंत करकरे की मौत हो गई.
हेमंत करकरे महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख थे और साल 2008 में मुंबई पर हुए हमलों के दौरान उनकी मौत हो गई थी. बहादुरी के लिए साल 2009 में उन्हें अशोक चक्र दिया गया था.
हेमंत करकरे ने साल 2006 में हुए मालेगांव बम धमाका मामले की जांच भी की थी और इस दौरान साध्वी प्रज्ञा सिंह से भी उन्होंने पूछताछ की थी.
मालेगांव धमाका मामले की अभियुक्त प्रज्ञा सिंह फ़िलहाल ज़मानत पर जेल से बाहर हैं और बीजेपी ने उन्हें भोपाल से उम्मीदवार बनाया है.
प्रज्ञा सिंह ने कहा, “मुझसे पूछताछ करने के लिए हेमंत करकरे को मुंबई बुलाया गया था. मैं उस समय मुंबई जेल में बंद थी.”
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साध्वी ने कहा, “हेमंत करकरे से कहा गया था कि अगर सबूत नहीं है तो साध्वी को छोड़ दो. वो व्यक्ति कहता था कि मैं सबूत लेकर आऊंगा और इस साध्वी को नहीं छोड़ूंगा.”
हेमंत करकरे के बारे में साध्वी ने कहा, “ये उसकी कुटिलता थी, ये देशद्रोह था, ये धर्मविरुद्ध था. वो मुझसे प्रश्न करता था. ऐसा क्यों हुआ, वैसा क्यों हुआ तो मैं कह देती थी कि मुझे क्या पता भगवान जानें. 'तो क्या ये सब जानने के लिए मुझे भगवान के पास जाना पड़ेगा,' मैंने कह दिया अगर आपको ज़रूरत हो तो आप अवश्य जाइये.”
साध्वी ने कहा, “मुझे इतनी यातनाएं दीं. इतनी गालियां दी. ये मेरे लिए असहनीय था. मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा और ठीक सवा महीने में, सूतक लगता है, जब किसी के यहां मृत्यु या जन्म होता है तो सूतक लगता है. जिस दिन मैं गई थी उस दिन इसके सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन उसे आतंकवादियों ने मारा उस सूतक का अंत हो गया.”
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साध्वी ने कहा, “भगवान राम के काल में रावण हुआ तो सन्यासियों के द्वारा उसका अंत करवाया गया. जब द्वापर युग में कंस हुआ तो सन्यासी पुनः आए और उसका अंत करवाया. जिन संतों सन्यासियों को उसने जेल में डाल रखा था उनका श्राप लगा और कंस का अंत हुआ.”
साध्वी ने कहा, “2008 में ये षड़यंत्र देशविरुद्ध रचा गया और सन्यासियों को अंदर डाला गया उस दिन मैंने कहा इस शासन का अंत हो जाएगा, सर्वनाश हो जाएगा और आज ये प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने हैं.”
मालेगांव धमाका
महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे.
इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी.
महाराष्ट्र एटीएस ने हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की और इस नतीजे पर पहुँची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे.
प्रज्ञा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी थीं. पुलिस ने पुणे, नासिक, भोपाल इंदौर में जांच की. सेना के एक अधिकारी कर्नल प्रसाद पुरोहित और सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय को भी गिरफ़्तार किया गया.
इसमें हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम सामने आया और साथ ही सुधाकर द्विवेदी उर्फ़ दयानंद पांडेय का नाम भी आया.
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मोटरसाइकिल से प्रज्ञा का कनेक्शन
एटीएस चार्जशीट के मुताबिक़ प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा सबूत मोटरसाइकिल उनके नाम पर होना था.
इसके बाद प्रज्ञा को गिरफ़्तार किया गया. उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण क़ानून (मकोका) लगाया गया. चार्जशीट के मुताबिक़ जांचकर्ताओं को मेजर रमेश उपाध्याय और लेफ़्टिनेंट कर्नल पुरोहित के बीच एक बातचीत पकड़ में आई जिसमें मालेगांव धमाके मामले में प्रज्ञा ठाकुर के किरदार का ज़िक्र था.
मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी. एनआईए की चार्जशीट में उनका नाम भी डाला गया.
मालेगांव ब्लास्ट की जांच में सबसे पहले 2009 और 2011 में महाराष्ट्र एटीएस ने स्पेशल मकोका कोर्ट में दाख़िल अपनी चार्जशीट में 14 अभियुक्तों के नाम दर्ज किये थे.
एनआईए ने जब मई 2016 में अपनी अंतिम रिपोर्ट दी तो उसमें 10 अभियुक्तों के नाम थे.
इस चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह को दोषमुक्त बताया गया. साध्वी प्रज्ञा पर लगा मकोका (MCOCA) हटा लिया गया और कहा गया कि प्रज्ञा ठाकुर पर करकरे की जांच असंगत थी.
इसमें लिखा गया कि जिस मोटरसाइकिल का ज़िक्र चार्जशीट में था वो प्रज्ञा के नाम पर थी, लेकिन मालेगांव धमाके के दो साल पहले से कलसांगरा इसे इस्तेमाल कर रहे थे.
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