एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Images14 फ़रवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले में 40 से ज़्यादा सीआरपीएफ
इमेज कॉपीरइटGetty Image
14 फ़रवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले में 40 से ज़्यादा सीआरपीएफ़ जवान मारे गए. इस हमले को लेकर देशभर में आक्रोश है और एक बार फिर संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर बहस तेज़ हो गई है.
सोमवार को विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने बयान दिया कि ''जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों को एक साथ आना होगा. ''
लेकिन सवाल ये है कि संविधान का अनुच्छेद 370 आखिर क्या है और क्यों इस पर इतना विवाद होता है. इसके साथ ही ये सवाल भी अहम है कि क्या जम्मू कश्मीर के लिए बने अनुच्छेद 370 को खत्म किया जा सकता है.
अनुच्छेद 370 कैसे अस्तित्व में आया?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है.
1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने कुछ शर्तों के साथ भारत में विलय के लिए सहमति जताई.
पढ़ें- मैं भारतीय हूं और हमेशा भारत के साथ रहूंगा: उमर अब्दुल्ला
गवर्नर ने कहा, कश्मीर का हो बॉयकॉट
'पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि क्यों नहीं तोड़ रहे हैं पीएम मोदी'
इसके बाद भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान किया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार मिले हुए हैं.
संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन राज्य के लिए अलग संविधान की मांग की गई.
इमेज कॉपीरइटGetty Image
1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई. नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का काम पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया.
अनुच्छेद 370 के मायने क्या हैं?
संविधान केअनुच्छेद 370 दरअसल केंद्र से जम्मू-कश्मीर के रिश्तों की रूपरेखा है. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने पांच महीनों की बातचीत के बाद अनुच्छेद 370 को संविधान में जोड़ा गया.
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, रक्षा, विदेश नीति और संचार मामलों को छोड़कर किसी अन्य मामले से जुड़ा क़ानून बनाने और लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की अनुमति चाहिए.
पढ़ें-100 घंटे के भीतर जैश के आतंकवादियों को मार दिया- भारतीय सेना
हिंसा-रक्तपात से दूर ये है पुलवामा की असली कहानी
कश्मीर CRPF हमला: जितेंद्र सिंह पर भड़के उमर अब्दुल्लाह
इसी विशेष दर्जें के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता. इस कारण भारत के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बरख़ास्त करने का अधिकार नहीं है.
अनुच्छेद 370 के चलते-
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है.
राज्य का अलग राष्ट्रध्वज अलग होता है.
जम्मू -कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है.
इमेज कॉपीरइटGetty Image
जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 35ए का ज़िक्र है जो ' स्थायी निवासी' प्रावधान का ज़िक्र करती है. ये अनुच्छेद 370 का हिस्सा भी है. जिसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में भारत के किसी अन्य राज्य का रहने वाला जमीन या किसी भी तरह की प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकता.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
इमेज कॉपीरइटGetty Image
इसके साथ ही 370 के तहत देश के राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर में आर्थिक आपालकाल नहीं लगा सकते. राज्य में आपातकाल सिर्फ़ दूसरे देशों से युद्ध की स्थिति में ही लगाया जा सकता है.
इससे साफ़ है कि राष्ट्रपति राज्य में अशांति, हिंसा की गतिविधियां होने पर आपातकाल स्वयं नहीं लगा सकते बल्कि ये तभी संभव है जब राज्य की ओर से ये सिफ़ारिश की जाएं.
क्या 370 को संविधान से हटा पाना संभव है?
दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई में कहा था कि इसे संविधान से हटाने का फ़ैसला सिर्फ संसद कर सकती है.
तत्कालीन चीफ़ जस्टिस एचएल दत्तू की बेंच ने उस वक्त कहा था, ''क्या ये कोर्ट का काम है? क्या संसद से कह सकते हैं कि ये आर्टिकल हटाने या रखने पर वो फ़ैसला करें, ये करना इस कोर्ट का काम नहीं है.''
इमेज कॉपीरइटGetty Image
साल 2015 में ही जम्मू-कश्मीर के हाईकोर्ट का कहना था कि संविधान के भाग 21 में ''अस्थायी प्रावधान'' शीर्षक होने के बावजूद अनुच्छेद 370 एक स्थायी प्रावधान है.
कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के खंड तीन के तहत ना तो इसे निरस्त किया जा सकता है और ना ही इसे संशोधित किया जा सकता है.
राज्य का कानून 35ए को संरक्षण देता है. हाई कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर बाकी राज्यों की तरह भारत में शामिल नहीं हुआ, इसने भारत के साथ संधि पत्र पर हस्ताक्षर करते वक्त अपनी संप्रभुता कुछ हद तक बकरार रखी थी.
भारत के संविधान के इतर जम्मू कश्मीर में अपना अलग संविधान है जिसकी धारा 35 ए को लेकर कई बार बहस छिड़ चुकी है. इस कानून के मुताबिक इस राज्य में कोई राज्य से बाहर का शख्स जमीन-जायदाद नहीं खरीद सकता.
क्या कहती हैं राजनीतिक पार्टियां
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने की बात कही थी.
लंबे वक्त से बीजेपी इस अनुच्छेद का विरोध करती रही है. लेकिन बाद में सरकार ने पर चुप्पी साध ली.
इमेज कॉपीरइटGetty Image
बीजेपी अनुच्छेद 370 को संविधान निर्माताओं की ग़लती मानती है.
जम्मू-कश्मीर की प्रमुख पार्टी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक रवैया इसके ठीक विपरीत है.
साल 2014 में नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, '' 370 भारत और जम्मू-कश्मीर के बीच रिश्ते की एक कड़ी है या तो 370 अनुच्छेद रहेगा या फिर कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा. ''
इमेज कॉपीरइटAF
पीडीपी की नेता और राज्य की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने 370 के खिलाफ़ उठते विरोध के स्वरों पर कहा था, '' अनुच्छेद 370 देश का जम्मू-कश्मीर से किया हुआ वादा है, ऐसे में जम्मू-कश्मीर की आवाम से किए गए इस वादे का सम्मान करना चाहिए.''
उसका कहना है कि यह अनुच्छेद 370 ही है जो जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़े हुए है.
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।
HFM
XM
GO MARKETS
Vantage
OSIRIS FOREX
HK Fortune
HFM
XM
GO MARKETS
Vantage
OSIRIS FOREX
HK Fortune
HFM
XM
GO MARKETS
Vantage
OSIRIS FOREX
HK Fortune
HFM
XM
GO MARKETS
Vantage
OSIRIS FOREX
HK Fortune